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यक़ीनन

Updated: Jan 12, 2023

By Akshay Sharma





जोखम में लहरे कैसे लोरी

आँखें सख़्त सहें सीना ज़ोरी

लाख सुना, लाख कहा, बना कुछ न बना.....कुछ न बना


रुकी है दाएँ दल की पलटन

बायाँ मन न तोड़े चिलमन

लाख किया, लाख दिया, मिला कुछ न मिला...कुछ न मिला


यक़ीनन, है! मिज़ाज है, यक़ीनन बे-हिसाब है

यक़ीनन आवाज़ है और आग है, इतनी आग है।





क़ा'एदे की क़ैद में फसा

हट लगा के खींचा है पिंजरा

न वो हिला, न मैं हिला....कुछ न बना, बना कुछ न बना


बेसुधी मन-हाल में खोजा

धुंधला था मन्ज़िल का रास्ता

न वो दिखा, न मैं दिखा...कुछ न मिला, मिला कुछ न मिला


यक़ीनन, है! मिज़ाज है, यक़ीनन बे-हिसाब है

यक़ीनन आवाज़ है और आग है, इतनी आग है।


By Akshay Sharma




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