By Akshay Sharma
जोखम में लहरे कैसे लोरी
आँखें सख़्त सहें सीना ज़ोरी
लाख सुना, लाख कहा, बना कुछ न बना.....कुछ न बना
रुकी है दाएँ दल की पलटन
बायाँ मन न तोड़े चिलमन
लाख किया, लाख दिया, मिला कुछ न मिला...कुछ न मिला
यक़ीनन, है! मिज़ाज है, यक़ीनन बे-हिसाब है
यक़ीनन आवाज़ है और आग है, इतनी आग है।
क़ा'एदे की क़ैद में फसा
हट लगा के खींचा है पिंजरा
न वो हिला, न मैं हिला....कुछ न बना, बना कुछ न बना
बेसुधी मन-हाल में खोजा
धुंधला था मन्ज़िल का रास्ता
न वो दिखा, न मैं दिखा...कुछ न मिला, मिला कुछ न मिला
यक़ीनन, है! मिज़ाज है, यक़ीनन बे-हिसाब है
यक़ीनन आवाज़ है और आग है, इतनी आग है।
By Akshay Sharma
Comments