top of page

रहता है।

Updated: Jan 18




By Nandlal Kumar


इलाही मेरे दिल के दरवाज़े पे तू बेकार रहता है,

माफ़ करियो इस घर में मेरा यार रहता है।


उस हुस्न पे नज़र ठहरे तो कैसे ठहरे,

जो कभी फूल बनता है कभी रुख़्सार रहता है।


सँवारते ही उलझ जाती है मेरी ज़िंदगी,

जैसे तुम्हारे लट तुम्हारे चेहरे पर सवार रहता है।


मेरी आशाओं की तरह मिटने लगे हैं अक्षर,

पर तेरा खत तेरी खुशबू से सरोवार रहता है।


न पूछो क्यों शेर इतना असरदार रहता है,

लिखते वक्त एक तीर ज़िगर के आर-पार रहता है।


By Nandlal Kumar





245 views8 comments

Recent Posts

See All

चाहता हूँ।

By Nandlal Kumar तुमसे ये बात अकेले में कहना चाहता हूँ, ज़ुल्फ़ों  की नर्म छाँओं में रहना चाहता हूँ। आप कह दिए हैं कि मैं बहुत गमगीन रहता...

8件のコメント

5つ星のうち0と評価されています。
まだ評価がありません

評価を追加
Gameger
Gameger
1月17日
5つ星のうち5と評価されています。

Waah ✨

編集済み
いいね!

Tushar Tokas
Tushar Tokas
1月16日
5つ星のうち5と評価されています。

Heart touching

いいね!

5つ星のうち5と評価されています。

Wah! Wah! Wah!

いいね!

Gunakar Tokas
Gunakar Tokas
1月16日
5つ星のうち5と評価されています。

Heart touching poem sir

編集済み
いいね!

Trisha
Trisha
1月16日
5つ星のうち5と評価されています。

Dil ko lag gaya.

いいね!
SIGN UP AND STAY UPDATED!

Thanks for submitting!

  • Grey Twitter Icon
  • Grey LinkedIn Icon
  • Grey Facebook Icon

© 2024 by Hashtag Kalakar

bottom of page