By Payal K Suman
बलशाली था प्रचंड था वो रावण दशानंद था
लंकेश तथा राजेश था शिव भक्ति में जो लीन था
था कल उसका आ गया जिसका देव महाकाल था
ये अंत का वरण था
कि सीता जैसी स्त्री का उसने कर लिया हरण था ।
जो देवी संस्कारी थी अयोध्या की वो रानी थी
उसकी आभा भारी थी वह पतिव्रता नारी थी
चंचलता की सुंदरता की जीवित अप्रतिम काया थी
कुछ और नहीं थी स्वयं लक्ष्मी महामाया थी ।
लो पुरुष अब वह आ गया जिसकी वह प्राण प्यारी थी
भेजा शांति संदेश भी उसने,पर लंकेश की हठ जारी थी ।
यह युद्ध अंतहीन था पर सामने वह वीर था
जो शत्रु से ही विजय की करवा रहा हवन था
सुशील था सरल था राम जिनका नाम था
देखने में सुकोमल वचन का अडिग था ।
था वक्त उसका ( रावण )आ गया केंद्र पर लगा बाण था
था जाना उसने तब ये वो उसके भगवान का भगवान था ।
चले गए वो धरती से इतिहास ऐसा रच गए
दिलों में नर नारी के कण-कण में वो बस गए ।
अयोध्या की वो नगरी देखो दुल्हन सा है सज गया
उनकी जन्म भूमि पर वह भव्य मंदिर बन गया
थे द्वापर के वो युग पुरुष एक युग ही अपना कर गए
धर्मों के जनक सनातन को गौरव से है भर गए ।
By Payal K Suman
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