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वक्त का खेल

Updated: Sep 16, 2023

By Falguni Saini


वक्त का भी कैसा अजब खेल है,

कभी एक ही पल में इतना कुछ घट रहा होता है

कि सांस लेने को भी तरस जाते हैं हम

और कभी सिर्फ सांसों की आवाज से ही खुदको जिंदा पाते हैं हम।

जो पल उस समय बड़े साधारण लगते थे,

आज उन्हीं को किस्से कहकर दोहराते हैं हम।

जिन बातों को उलझनें समझते थे,

उन्हीं को आज मासूमियत कहकर मुस्कराते हैं हम।




जो साथी उस समय परिवार लगते थे,

उन्हीं को फोन लगाने में कतराते हैं हम।

जिन दोस्तों से छोटी–छोटी बातों पर मुंह फेर लिया,

उन्हीं की बातें याद करके भर आतें हैं हम।

कुछ रह नहीं पाए , कुछ को हम न रख सके,

कुछ को हमने रखा तो कुछ को वक्त ने न रहने दिया,

मगर यकीन मानिए,

हर एक को खोने पर पछताते हैं हम।


By Falguni Saini




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6 Comments

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Unknown member
Sep 16, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Mighty writing!

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Kiyan Saini
Kiyan Saini
Sep 16, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Awesome

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falguni
falguni
Sep 16, 2023
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Thankyou

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Satendra Saini
Satendra Saini
Sep 15, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Nice work

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falguni
falguni
Sep 16, 2023
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Thankyou

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Charu Singodia
Charu Singodia
Sep 15, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

I'm loving your work!!

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