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विश्व जल दिवस पर जल ही जीवन

Updated: Jun 2, 2023

By Tanuja Joshi



आने वाला खतरा समझ छोड़ो जल को व्यर्थ गवाना,

जल ही जीवन जल ही कल वरना फिर तो है पछताना।


रंग गंध आकार नहीं पर कीमत फिर भी बड़ी अनमोल,

स्वादहीन का स्वाद ना समझा तो सत्ता जायेगी डोल।


जल में छिपी ताकत अपार जिसमें विद्युत शक्ति समाये,

बांधा तो घर हो रोशन टूट गया तो शहर बहाये।


जब धूप में तप गला सूखे और टप टप बहे पसीना,

तब वो जल अमृत लगे जो राही को पड़ जाये जीना।



खाना नहाना साफ सफाई जल बिन असंभव निर्माण,

जल संचय ही धन संचय जिसमें समाया जग कल्याण।


कभी तो खूब किया छप छप घर में नल की धार तले,

पर घर बाहर रुपया देकर बंद बोतल खरीद चले।


जल की रानी मछली ज्यों जल बिन हो जाती बेजान,

जल ही इज्जत जल ही चमक जल बिन ये जग श्मशान।


रोपों पौधे पेड़ ना काटो ना करो प्रकृति से खिलवाड़,

रोका अगर ना जलप्रदूषण तो रोना फिर सदा दहाड़।


तब दूर ना होगा वह दिन जब धरा बनेगी रेगिस्तान,

मृग मारीच बनेगा मानव रेत दिखेगी जल समान ।


दुनिया बसी हुई जल में जो इसका दुर्लभ आधार,

अब भी ना चेते तो होनी निश्चित कल चौथी तकरार।


By Tanuja Joshi




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