By Adarsh Singh
मैं मौन रहा सदा, सहते अपनी पीड़ा को।
अब जब संकट आ पड़ा, तो कहते इतनी पीड़ा क्यूँ ?
तेज चमकता आग का गोला फेंक रहा अब ज्वाला है।
अभी भी समझ नहीं पा रहे की अंत होने वाला है?
तू ही धरती का नाश करने वाला है।
समय अभी भी गया नहीं, क्या तू संभलने वाला है ?
लाख कारण दिए की मत मुझे मारो,
बुद्धि तुम्हारी भ्रष्ट थी, अब बात मेरी मानो।
जीवन मेरा अनमोल है, इस तथ्य को जानो,
मेरे बिना सब नष्ट है, इस सत्य को जानो।
सुलग जाएगी दुनिया, ना राख तुम्हें मिलेगी।
अब जितना किया है तुमने, उन सब की सजा तुम्हें मिलेगी।
यह तो बस शुरू वात की झलक है,
आने वाला समय तो पूरा नर्क है।
By Adarsh Singh
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