By Swayamprabha Rajpoot
वो जवान भारत के लिए सरहद पर लड़ते रहते हैँ...
हम घर के अंदर ही तेरा मेरा करते रहते हैँ...
नहीं ज़रूरी है जाकर सरहद पर जान गवाओ तुम...
मगर ज़रूरी है अन्याय के खिलाफ लड़ पाओ तुम...
बचा रहे सरहद अपनी, अपनी ही जान गवां कर जो...
उनके आँगन की कम से कम रक्षा तो कर पाओ तुम...
देशभक्ति का ये जूनून गर चंद दिन ही दिखलाना है,,
सोचो ज़रा सच में आजादी क्या अधिकार हमारा है?
थी हमने जिनके लिए सीने पर गोलियां खाईँ
वो मरते वक़्त तक भी होंठ पर ना सिसकियां आयीं...
मेरी जिम्मेदारी थे जो मैं उनके कंधो पर था...
मौत मुझे क्या मारेगी मैं खुद ही तो फंदो पे था...
माँ की चिट्ठी का जवाब आने से पहले मैं आया .
मेहंदी वाले हाथों से मंगलसूत्र था कैसे खुलवाया
ये सब देखकर भी मुझे सब कुछ मुबारक था...
मेरी आँखों के सामने मेरा आजाद भारत था...
मगर फिर से हमने वो ही गलती दोहराई...
लड़ने लगे आपस में ही,तलवार टकराई...
ठहरो यूँ ना हो फिर ये देश बिक जाए...
धर्म मेरा तेरा तो हो,,हिंदुस्तान मिट जाए...
क्या यूँ ही भगत सिंह ने अपने जान गवाई थी...
झाँसी की रानी आजादी की क्यों ही दीवानी थी...
जाने कितनी अनगिनत वीरों की लाश उठाई है...
क्या लगता है आजादी यूँ ही चलकर आयी है?
मांगो से सिन्दूर मिटा, मांओ की कोखें खाली हुई...
शहीदों के कंधे पर रखी ये आजादी हमारी हुई....
नारी रक्षण हेतु जब कुरुक्षेत्र सजा सकते हैं हम...
देश बचाने के खातिर तो विधवंश मचा सकते हैँ हम...
ना हिन्दू मुस्लिम सिख ना हिसाईं की दुहाई देँ ..
जब भी युद्ध का मर्दन हो बस जय हिन्द सुनाई दे....
ना अल्लाह नज़र आये ना ही भगवान दिखाई दे...
दुश्मन को हममे पूरा हिंदुस्तान दिखाई दे…
By Swayamprabha Rajpoot
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