By Virendra Kumar
पहुंचा जब तैयारी को मैं
खरीदा बुक जो सबसे फेमस था
जिसको पढ़ने मे लगाया महीनों
वो पता चला की बस सिलेब्स था I
फिर लक्ष्मीकांत, स्पेक्ट्रम पढ़ने का
टेंशन बहुत अतरालू हुआ
मैं पलेस्टाइन सा कोने में दुबका
और इजरायल का आक्रमण चालू हुआ I
कोचिंग के हब मे पहुंचा जब
पोस्टरों की भरमार लगी थी
एक टॉपर के कामयाबी की कहानी
10-10 इंस्टीट्यूट्स के सामने टंगी थी I
मैं भी आया झांसे मे फिर
कोचिंग शेड्यूल का पार्ट हुआ
क्लासेज करने संग आरती, वंदना
का भी चक्कर स्टार्ट हुआ I
थोड़ा बैलेंस बनाया ही था कि
नया संकट एडेड-इन-कार्ट हुआ
ऑप्शनल क्या मैं चूज करूं
इस पर डिस्कशन स्टॉर्ट हुआ I
इन सब चीजों के चक्कर में
२ साल कब बीता पता नहीं
ऑप्शन अभी तक डिसाइड न था
और जीएस कोचिंग का जचा नहीं I
अब जा के ऑप्शनल फिक्स हुआ तो
दिन-रात मैं थिंकर्स याद किया
आधा खाया, आधा सोया
६ महीने और बर्बाद किया I
जब आया फरवरी बैंड बजी
प्रीलिम्स का हेडेक सवार हुआ
अब एमसीक्यू के चक्कर में
कइयों बार बुखार हुआ I
By Virendra Kumar
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