By Kamakshi Aggarwal
सब के बीच में खड़ी हुई,
छटी हुई है एक लड़की।
यूँ जिंदा है पूरी तरह पर,
कुछ अधमरी सी है वो लड़की।
यूँ तो आती जाती साँस है,
हर तरफ़ इज़हार ए- दिल का हाल है।
पर अदंर के जंजाल में कुछ,
फँसी हुई सी है वो लड़की।
अंदर शोर उमरता जा रहा है,
और बहार गहरा सन्नाटा है।
थोड़ी नहीं अब पूरी तरह, चकराती जा रही है वो लड़की I
कभी खिलखिलाने, गाने और झूमने वाली थी वो लड़की,
जो आज खुद को खुदी में खो रही है।
ना जाने किस फितूर की तलाश में है वो,
जो खत्म खुद को यूँ वो कर रही है।
चिल्लाने की कोशिश मैं भी, चिल्ला नहीं वो पाती है,
खुद की परिस्थति को समझने की कोशिश कर थोड़ी झुँझला जाती है।
यूँ ऐसी नहीं थी शूरुआत से वो,
अब हाल कुछ बुरा हुआ है उसका,
जीने की इच्छा रखने वाली आँखो में,
अब अंधियारा दिखता है थोड़ा।
वो तो आसमान की चिड़िया बन उड़ रही थी,
लोगो के सोच से भी ऊपर।
पर अागे बढ़ने की चाहत ने,
तोड़ दिया उसको भीतर तक।
अब दोस्तो के बीच बैठकर भी शांत है वो लड़की।
आस पास सब से घिरे रहने के बाद भी सबसे अंजान है वो लड़की।
अंदर के बवाल को अकेले समेटने चली,
चुप रहने के कारण अब घमण्डी होने का दूसरा नाम वो बनी है।
ऐसा नहीं उसने लोगो को बताना चाहा ना हो,
की उसके अंदर के समुद्र में सुनामी दस्तक दे रही है और आशाएँ सारी डूबती दिखाई दे रही है।
पर लोग उसकी हँसी के पीछे की बातें समझ न पाए,
उसकी हालत पर ही मज़ाक कर उसे 'ओवरथिंकर' बता गए।
'डिप्रेशन' और 'एंग्जायटी' से झूनझने के बाद भी,
कहीं उम्मीद हलकी सी बाकी है।
आँखो मैं नमी बेशक,
हौंसला अभी बाकी है।
सपने देख रही है फिर आसमान में उड़ने के वो लड़की।
सपने देख रही अंदर मचे भौकाल को शांत करने के वो लड़की।
उसकी हिम्मत अब उसकी ताकत बन रही है,
धीरे- धीरे ही सही पर खुद को खुद ही मैं तलाश वो फिर से कर रही है।
उदासी की परत के नीचे जज़्बा छुपा रखा है उसने,
अपने जीवन के फिर से खुशाल होने के सपने सजा रही है वो लड़की।
By Kamakshi Aggarwal
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