By Nirupama Bissa
पहाड़ , मेरे लिए हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहे । पता नहीं क्यों , पर हमेशा लगता है कि मुझे अपनी ओर खींचते हैं ये ऊंचे ऊंचे पहाड़ । फिर चाहे पथरीले हों , हरे भरे हों या सफेद चादर से ढके हुए । मैं ठहरी शुष्क राजस्थान की , जिसने अपने चारों ओर सिर्फ रेत के धोरे देखे हैं बचपन में। जिसने पहाड़ों के मिट्टी बन जाने की कहानियां पढ़ी हैं और सुनी हैं । इन कहानियों के कारण मुझे हमेशा लगता रहा कि पहाड़ और मिट्टी का कोई तो रिश्ता है , तभी तो जहां भी पर्वतों की बात होती है , मिट्टी की बात आ जाती है । शायद इसीलिए मैं इनसे आकर्षित रहती हूं ।
मेरे लिए पहाड़ मतलब शांति, पहाड़ मतलब संजीदगी और पहाड़ मतलब सादगी। जीवन की ऊंचाई का अर्थ भी शायद यही तीनों मिल जाने से है, इसके बाद और इसके परे सब कुछ मिट्टी ही तो है।
या फिर बॉलीवुड के गाने और शूटिंग की लोकेशन ज्यादातर पहाड़ों में रहती है , इसलिए ये मेरे लिए कौतूहल का विषय रहें हो । नीले गगन के तले , धरती का प्यार पले हो या फिर ये कौन चित्रकार है हो या फिर तेरे मेरे होठों पे मीठे मीठे गीत , हर बार बॉलीवुड ने भी पहाड़ों को चुना ।
इन पहाड़ों की बात हो और एवरेस्ट का जिक्र न हो ऐसा तो हो नहीं सकता है, है ना।
एवरेस्ट, इस नाम से कई वर्षों पहले एक सीरियल भी आया था ज़ी tv पर। कुछ युवाओं की कहानी थी जो एवरेस्ट चढ़ना चाहते थे और दुनिया के सामने स्वयं को साबित करना चाहते थे ।
अच्छी कहानी थी, कभी आपको कहीं मिले तो अवश्य ही देखिएगा ।
आप भी सोचेंगे कि ये आज बेमौसम बरसात कैसे ।
दरअसल कुछ दिन पहले ही एक मूवी आई है जिसका नाम है ऊंचाई , इसको जब से देखा तब से मन बना लिया था कि कुछ इसके बारे में चर्चा जरूर करूंगी ।
आज वो दिन आ ही गया। जिस मूवी में एक साथ इतने दिग्गज कलाकार हों वो अच्छी तो होगी ही। यहां अच्छी से मेरा मतलब बॉक्स ऑफिस से परे है , मेरे लिए अच्छी मूवी मतलब जिसमे कोई अच्छी कहानी हो और एक अच्छा संदेश हो ।
ऐसा ही कुछ देखने मिला ऊंचाई में, रिश्तों का, भावनाओं का , दोस्ती का , प्यार का एक खूबसूरत ताना बाना है ।
दो भिन्न जेनरेशन का टकराव आम बात है , पर ये कभी कभी सिर्फ इसलिए होता है कि हम अपनों से खुल कर बात नहीं करते हैं , बेहद ही खूबसूरती से बताया है इसमें।
अपना घर छोड़ कर कमाने निकले बेटे फिर लौट कर घर नहीं आते हैं । माता पिता कि सेवा में रहने वाले बेटों को माता पिता का स्नेह तो मिलता है पर साथ ही मिलती है जिम्मेदारियां । दोनों पक्ष में से कौन गलत है कौन सही ये कौन बताए और नतीजा भाइयों के बीच एक अनजानी दीवार खींच जाती है, इस दर्द को अनुपम खेर जी ने बहुत ही उम्दा तरीके से दिखाया है ।
बहुत सारे संदेश अपने आप में समेटे है ये मूवी परंतु सबसे अहम संदेश यह है कि हम सब के जीवन में कोई न कोई एवरेस्ट होता है , जिसको जीतने का ख्वाब तो होता है हमारे दिल में , पर दिमाग में उसकी ऊंचाई का डर हमेशा बना रहता है ।
बस इस डर को दिमाग से निकलना ही है जीवन की ऊंचाई को प्राप्त करना । हम सभी हर दिन अपने अपने हिस्से के पहाड़ चढ़ते हैं , मुश्किल भरे दुर्गम रास्तों से होते हुए बढ़ते रहते हैं , बस यही है जीवन की ऊंचाई ।
हम सबको चढ़ना है और चढ़ते रहना है, अपने अपने हिस्से का एवरेस्ट ।
बस चढ़ते हुए ये गीत गुनगुना लेना ,
वो लड़की पहाड़ी , पहाड़ी सी लड़की,
(ऊंचाई का ये गाना बहुत पसंद आया मुझे )
सफर आसान हो जायेगा ।
वैसे पहाड़ी लड़की का ज़िक्र भी कोई इत्तेफाक नहीं है इस मूवी में, पहाड़ों में महिलाएं ही जीवन को चलाती हैं वही जीवन की धुरी है वहां । इसीलिए तो उनको हुस्न पहाड़ों का कहा गया है ।
वैसे आज International Mountain Day है दोस्तों , और 2022 की थीम भी है
Women move mountains.....
अब समझे आप
वो लड़की पहाड़ी , पहाड़ी सी लड़की
गीत इतना खूबसूरत क्यों है । सुनिएगा और मूवी भी देखिएगा ।
बाकी मेरा आकर्षण तो मेरे साथ है ही पहाड़ों के लिए ।
By Nirupama Bissa
आज जोशीमठ को देखते हुए ये बहुत ही सराहनीय लेख है ।