By Shreya Paul
किस्से कहता रहता हूँ
शायद पिछले जन्म में कुछ हुआ होगा।
में किसी को चाहता रहता हूँ
शायद उसने कभी मुझे पाया होगा।
मंज़िल है लेकिन अंधा कहलाता रहता हूँ
शायद उसका कभी सहारा पाया होगा।
चलते हुए डूबता रहता हूँ
शायद उसने कभी मेरे लिए रोया होगा।
लिखते हुए रुकता रहता हूँ
शायद उसने अपना ज़ीनत लिखवाया होगा।
शीशा देख खुश रहता हूँ
शायद उसने कभी शीशे को नज़र दिया होगा।
रोज़ खयाल और कभी-कभी हकीकत
शायद दोनों से उसने ये इश्क समझा होगा।
By Shreya Paul
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