By Khushi Tanganiya
ये आवाजें मुझे खा रही हैं,
मैं खोखला हो चुका हूँ अंदर से अब।
संवेदनाएँ कुछ कम और बेचैनियाँ इतनी बढ़ गई कब?
कुछ परेशान, फिर खोया सा रहता हूँ।
अब सच क्या है, मुझे खबर नहीं, मैं झूठ खुद से कहता हूँ।
एक झूठ, कि मैं ये सब सह नहीं सकता,
एक झूठ, कि मैं ये बेचैनी किसी को कह नहीं सकता।
असल बात तो ये है कि कायर हूँ मैं,
बस भागना जानता हूँ, बातें करता नहीं किसी से, और मुलाकातें टालना जानता हूँ।
भाग रहा हूँ अपने आज से, और कल की यादें क्यों पीछा छोड़ती नहीं मेरा?
ना जानूँ मेरे मन में क्या...
धुंधला सा लगता अब क्यों खुद का चेहरा।
इस सूक्ष्म सी ज़िन्दगी में...
अब शून्य की ओर बढ़ रहा हूँ मैं।
By Khushi Tanganiya
Comments