By Mrityunjay Mishra
कुछ पत्तों के गिर जाने से वृक्ष नहीं रोया करते हैं...
संघर्षों के पथ पर चलकर आस नहीं खाया करते हैं...
शूल पड़े हों पथ पर फिर भी तुमको कदम बढ़ाना होगा...
चाहे जितना तप करना हो लक्ष्य तुम्हें ही पाना होगा...
एक विफलता मिल जाने से हार नहीं माना करते हैं...
आज तुम्हें यह लगता होगा क्या रखा है मेहनत में...
कट तो रहा है जीवन अपना जान क्यों डालें आफत में...
सोच जिन्होंने रखी ऐसी कुछ भी नहीं पाया करते हैं....
अपनी मेहनत अपनी ताकत पर है भरोसा करना तुमको...
आए चाहे जितनी मुश्किल मन को है समझाना तुमको...
सोच सोच कर अब क्या होगा धैर्य नहीं खाया करते हैं...
आज तलक जो साथ थे अपने दूर हुए क्यों जाते हैं...
कहना उनसे बहुत है हमको बोल नहीं क्यों पाते हैं...
एक गलतफहमी होने से साथ नहीं छोड़ा करते हैं...
कुछ पत्तों के गिर जाने से वृक्ष नहीं रोया करते हैं...
संघर्षों के पथ पर चलकर आस नहीं खाया करते हैं...
By Mrityunjay Mishra
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