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सपनों का सफर और एक मोड़

By Harsh Chaudhary


यह कहानी है हर्षित की, जो एक सीधा-साधा और भावुक लड़का था। बचपन से ही उसकी

दुनिया में सपनों का एक अलग ही महत्व था। उसके माता-पिता उसे हमेशा सही राह पर चलना

सिखाते थे और वह हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए बहुत मेहनत करता था। सातवीं कक्षा पास कर

जब अर्पित आठवीं में आया, तो उसकी जिंदगी में कुछ नया हुआ। उसी साल उनकी कक्षा में

एक नई लड़की का दाखिला हुआ, जिसका नाम था आकर्षि।


आकर्षि एक चुलबुली, हंसमुख और खुले विचारों वाली लड़की थी, जो अपनी मुस्कान से सबका

दिल जीत लेती थी। पहली बार जब हर्षित ने आकर्षि को देखा, तो उसके दिल में अजीब-सी

हलचल हुई, मानो किसी ने उसके दिल में कोई अनकही बात डाल दी हो। आकर्षि की सादगी

और मुस्कुराहट में एक खास बात थी जो उसे बहुत पसंद आने लगी थी। हालांकि, हर्षित को

खुद भी पता था कि वो अभी बहुत छोटा है और शायद ये महज एक आकर्षण है। फिर भी,

आकर्षि का उसकी ज़िन्दगी में आना, उसके लिए खास बन गया था।


हर्षित तीन साल तक आकर्षि से बात भी नहीं करा पाता था। जब भी वो उससे कुछ कहना

चाहता, तो उसके शब्द उलझ कर रह जाते। मगर इस दौरान वो उसे दूर से ही देखता रहता और

उसकी मुस्कान से खुद को खुश कर लेता। इस बीच हर्षित ने अपनी पढ़ाई पर पूरी तरह ध्यान

दिया और अपनी कक्षा में हमेशा अच्छे अंक ही प्राप्त किये। आकर्षि के लिए उसकी भावनाएं

धीरे-धीरे गहराती गईं, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को दसवीं कक्षा तक अपने मन में ही छुपा

कर रखा।


जब दोनों 11वीं कक्षा में पहुंचे, तो किस्मत ने जैसे हर्षित का साथ दिया। वो और आकर्षि एक

प्रोजेक्ट पर साथ काम करने लगे। इस दौरान उनकी बातचीत बढ़ी, और आकर्षि ने भी हर्षित के

अंदर छुपे उस मासूम लड़के को पहचाना, जो हमेशा उसकी हिफाज़त करने को तैयार रहता।


दोनों की दोस्ती गहरी होने लगी और कुछ ही समय में उनके बीच की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में

बदल गई। अब हर्षित और आकर्षि अक्सर एक-दूसरे के सपने, ख्वाहिशें, और जिंदगी के छोटे-बड़े

पल साझा करते। उन्होंने साथ में ये सपना देखा कि बड़े होकर, एक-दूसरे का हाथ हमेशा के

लिए थामेंगे और एक खूबसूरत जिंदगी बिताएंगे।


12वीं कक्षा में उनका रिश्ता बहुत खूबसूरत था। वे साथ में पढ़ाई करते, एक-दूसरे को आगे बढ़ने

के लिए प्रेरित करते और अपने रिश्ते को समझदारी के साथ संभालते। मगर जैसे ही 12वीं की

परीक्षा खत्म हुई, आकर्षि को कोटा जाने का मौका मिला, जहाँ उसे आईआईटी मैं दाखिला लेने

की तैयारी करनी थी। हर्षित को गर्व था कि उसकी आकर्षि अपने सपनों को पूरा करने जा रही

है, लेकिन उसके दिल में एक डर भी था, एक दूरी का डर।


कोटा जाने के बाद, आकर्षि की ज़िन्दगी में बदलाव आने लगे। नए माहौल में उसने नए दोस्त

बनाए और धीरे-धीरे पढ़ाई में भी बहुत व्यस्त हो गई। पहले की तरह उनकी कॉल्स कम हो गईं,

मैसेज का जवाब भी अब जल्दी नहीं आता था। अर्पित ने इसे समझने की कोशिश की, लेकिन

उसे यह महसूस होने लगा कि आकर्षि अब पहले जैसी नहीं रही। जल्द ही अर्पित को पता चला

कि कोटा में आकर्षि के कुछ नए दोस्त भी बने हैं। उनमें तीन लड़कियाँ और एक लड़का था,

जिसका नाम राहुल था।


जब हर्षित ने आकर्षि से इस बारे में बात की और अपनी चिंता जताई, तो आकर्षि ने उसे

समझाने की कोशिश की, “वो मेरा सिर्फ दोस्त है। तुम समझो ना, यहाँ नए लोग हैं, जिनके

साथ वक्त बिताने का मन करता है।“ हर्षित ने आकर्षि की बातों पर भरोसा करने की कोशिश

की, मगर राहुल के साथ उसकी बढ़ती दोस्ती को लेकर उसे दिल में एक खलिश होने लगी।


समय के साथ आकर्षि और राहुल की दोस्ती और गहरी हो गई। हर्षित के पास आकर्षि का

समय कम होता गया और अब वो पहले जैसी नहीं रही। कुछ दिनों बाद, आकर्षि ने हर्षित को


साफ-साफ बता दिया कि वह उसके साथ अब रिश्ते में नहीं रहना चाहती। उसने यह भी बताया

कि राहुल के साथ उसकी जिंदगी अब बेहतर महसूस होती है, और वो आगे राहुल के साथ ही

अपना रिश्ता निभाना चाहती है। हर्षित के लिए यह एक बड़ा सदमा था। उसकी दुनिया जैसे

बिखर गई थी। उसे लगा कि उसके सपने, उसका प्यार, और उसके विश्वास, सबकुछ टूट गया।


हर्षित ने खुद को पूरी दुनिया से काट लिया। वह किसी से बात नहीं करता, हर समय अकेला

रहना पसंद करता और अपनी भावनाओं को कागज़ पर कविताओं में उकेरने लगा। उसके दिल

में दर्द था, लेकिन उसने उस दर्द को अपने शब्दों में उतारना शुरू कर दिया। एक दिन, उसने

हिम्मत कर अपने पिता को अपनी पूरी कहानी बताई। उसे डर था कि उसके पिता उसे डांटेंगे,

लेकिन पिता ने बहुत प्यार से उसे समझाया, “बेटा, ज़िंदगी में ऐसे उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। ये

एक सीख है कि हमें खुद को मजबूत बनाना चाहिए और सही इंसान का इंतजार करना चाहिए।“


पिता के इन शब्दों ने हर्षित के दिल में एक नई उम्मीद की किरण जगाई। उसने अपने दर्द को

ताकत बनाकर खुद को पढ़ाई में झोंक दिया। वह हर रोज़ मेहनत करने लगा, अपने भविष्य पर

ध्यान देने लगा।


समय बीतता गया, और हर्षित ने धीरे-धीरे अपने दर्द को भुलाना शुरू किया। उसने कॉलेज में

दाखिला लिया और नए दोस्त बनाए, खुद को बेहतर बनाते हुए अपनी जिंदगी को एक नई दिशा

दी। उसके लेखन की वजह से लोग उसकी कविताओं को सराहने लगे, और उसे पहचान मिलने

लगी।


एक दिन अचानक हर्षित के पास आकर्षि का संदेश आया। उसने लिखा, “हर्षित, मुझे अहसास

हुआ कि सच्चा प्यार क्या होता है। शायद मैं उस समय इसे समझ नहीं पाई, लेकिन अब बहुत

पछता रही हूँ।“ आकर्षि ने माफी मांगते हुए लिखा कि उसने गलती की थी और अब उसे महसूस

हो रहा है कि वो सच्चा प्यार हर्षित के साथ ही था।


हर्षित ने आकर्षि का संदेश पढ़ा और थोड़ी देर के लिए पुरानी यादों में खो गया। लेकिन अब वह

बदल चुका था। उसने आकर्षि को जवाब में सिर्फ इतना लिखा, “कुछ रिश्ते अधूरे ही खूबसूरत

होते हैं। जिंदगी के इस सफर में, मैं तुम्हारे लिए सिर्फ एक याद बनकर रहना चाहता हूँ।“


हर्षित के इस जवाब ने उसकी ज़िंदगी को नई ऊंचाइयों की ओर मोड़ दिया। उसने अपने टूटे

दिल को हिम्मत में बदलकर एक लेखक के रूप में पहचान बनाई और अपने शब्दों के माध्यम

से अपने अनुभवों को साझा करने लगा।


और इस तरह, हर्षित ने अपने दर्द को अपनी ताकत में बदलते हुए, अपने सपनों के सफर को

नए आयाम दिए, और एक मोड़ के बाद अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दी।


By Harsh Chaudhary


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