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सुकून की नींद

By Kishor Ramchandra Danake


शाम के ७ बज रहे थे। ठंडी हवा चल रही थी। बस्ती में बोहोत ही शांति और सुकून का मोहोल था। मैरी ने अपने जिंदगी में इतनी अच्छी और सुकूनभरी शाम कभी महसूस नहीं कि थी।

“मैडम! जल्दी चलो। फादर आ गए है।“, रोशनी ने बंगले के बाहर से मैरी को आवाज दी।

मैरी ने अपना स्वेटर पहनकर बाहर आते हुए कहा, “हां! चलो जल्दी।“ और वे दोनो रास्ते पर चलने लगे।

“ठंड अब बढ़ रही है। है ना रोशनी?”, मैरी ने अपने हाथ एक दूसरे पर रगड़कर कहा।

“हां मैडम। अभी तो नवंबर शुरू हुआ है। जैसे जैसे क्रिसमस नजदीक आएगा ठंड और जादा बढ़ती जायेगी।“, रोशनी ने कहा।

“हां, क्रिसमस भी नजदीक आ रहा है।“, मैरी ने कहा। “विलास कहा है?”

“वो तो प्रेयर के लिए कब के चले गए। प्रेयर के दिन उन्हें बोहोत खुशी होती है। फादर आने से पहले ही चले जाते है।“, रोशनी ने कहा।

“अच्छी बात है।“, मैरी ने कहा।

“देखो ये हमारे बांई ओर पहला घर शांताराम दादाजी और सुंदर दादी का है। शायद वो चले गए प्रेयर के लिए।“, रोशनी ने कहा।

“हां। मैं उनको जानती हूं। बचपन का भी मुझे थोड़ा थोड़ा सा याद है। लेकिन कभी बाते नही हुई हमारी जादा।“, मैरी ने कहा।

“सच बताऊं यहां पर सबलोग ऐसे नही है। हम सब येशु में यकीन तो करते है। लेकिन हमे उनके रास्तोंपर चलना चाहिए। बस दिखावा कुछ काम का नही होता है, सही हैं ना?”, रोशनी ने धीमी आवाज में कहा।

“हां। सही है। लेकिन मुझे तो बोहोत जरूरत है ईश्वर की।“, मुस्कुराते हुए मैरी ने कहा।

“जरूरत सबको होती है। लेकिन महत्त्वपूर्ण बात यह है की क्या हम ईश्वर के साथ अपना व्यक्तिगत रिश्ता स्थापित करते है या नही?”, रोशनी ने कहा।

“हमsss!!! काफी गहरी बात है।“, मैरी ने कहा। “और ये व्यक्तिगत रिश्ता कैसे स्थापित होता है?”

“देखो हमारे दोस्त होते है लेकिन खास दोस्त कब बनते है? जब हम उनके साथ अपना अच्छा समय बिताते है। हम उनसे अपनी दिल के बाते करते है। वैसे ही हमे हररोज हमारे दिल की बात येशु से करनी चाहिए।“, रोशनी ने कहा।

“तुम तो बोहोत अच्छी बाते करती हो रोशनी बोहोत समझदारी की।“, मैरी ने कहा।

“हां!! कर लेती हूं। कभी कभी।“, रोशनी ने कहा। और हंस दिया। मैरी ने भी उसके साथ हंस दिया।

“देखो मैडम दूर दूर तक हमारे खेत फैले हुए है। हमारे दांए और हमारे बांए। मैं आपको कल हमारा पूरा खेत दिखाऊंगी।“, रोशनी ने कहा।

सहमती दर्शाते हुए मैरी ने “हां” कहा।


शांताराम के घर के पास राजेंद्र और हिमेश का घर था। जो एक दूसरे से जुड़ा हुआ था। उनके पास में ही बापू का घर था। इन तीनों घरों के बीच थोड़ा थोड़ा सा अंतर था।

दायनी ओर पहला घर विलास और रोशनी का था। उनके पास में ही सुनील और मंदा का घर था। सुनील और मंदा के घर के पास में ही उत्तम और आलका का घर था और आखिर में पेत्रस और आनंद का घर। वो भी एक दूसरे से जुड़ा हुआ था। पेत्रस और आनंद दोनो सगे भाई थे।

रोशनी ने कहा, “देखो आ गया नजदीक पेत्रस भाऊजी और आनंद भाऊजी का घर। बुधवार के दिन कभी उनके घर में प्रेयर होती है तो कभी राजेंद्र और हिमेश भाऊजी के घर में। और रविवार के दिन शहर में चर्च है तो वहा प्रेयर होती है।“

अब चलते चलते वे दोनो पेत्रस और आनंद के घर के पास आ गए। पूरे बस्ती का शोर अब उस घर में से सुनाई दे रहा था। प्रार्थना के लिए सारे एक हॉल में इकट्ठा हो गए थे। बाहर आंगन में तीन कुत्ते बैठे हुए थे। दो गाय और तीन बकरियां भी थी। वहा एक आदमी भी खड़ा था जो आंगन में ट्रैक्टर के पास रखे एक लकड़ी के बड़े टुकड़े के पास खड़ा उस टुकड़े को बस घूर रहा था। उस लकड़ी के टुकड़े में से एक नुकीला टुकड़ा ऊपर की तरफ निकला हुआ था। वह आदमी दगड़ू था।

रोशनी और मैरी दगड़ू को नजरंदाज करके हॉल के अंदर चले गए। आगे जगह नहीं थी इसलिए वह दोनो सारी औरतोंके पीछे दीवार को अपनी पीठ लगाकर बैठ गये। हॉल पूरा भर चुका था। एक तरफ पुरुष थे तो एक तरफ सारी महिलाएं।

उन सबके सामने दो आदमी कुर्सियों पर बैठे हुए थे। उनमें से एक आदमी पतला था। उसके चेहरे पर एक अलग ही तेज था। उसे देखकर और उसके पहरावे को देखकर कोई नही कह सकता था की उसकी उम्र ४५- ५० के बीच होगी। उसका नाम डेविड था। वह चर्च के फादर थे। उसके पास कुर्सी पर एक मोटा आदमी बैठा हुआ था। जिसकी उम्र लगभग ३०-३५ के बीच होगी। उन दोनों के दायनी तरफ दस औरते और तीन छोटी लड़कियां बैठी हुई थी और बाएं तरफ १२ आदमी और ९ लड़के बैठे हुए थे।


डेविड ने कहा, “ये वही मैडम है क्या जिनका वह बंगला है?”

“हां, यह वही मैडम है फादर। इनका नाम मैरी है।“, रोशनी ने उत्साह से कहा।

उसी वक्त विलास ने कहा, “अरे तू रुकना जरा। मैडम को बोलने दे ना। खुद का ही लेके चलती है।“ और उसी वक्त सब हंसने लगे। लेकिन उस में छोटे बच्चों के हंसने का आवाज सबसे बड़ा था।

“कोई बात नही! कोई बात नही! मैं उनसे बाद में बात करूंगा।“, मुस्कुराते हुए फादर ने कहा। “चलो अब प्रार्थना शुरू करते है।“ और उसी वक्त एकदम से सारा शोर शांति में बदल गया।

अपने पास बैठे उस मोटे आदमी से फादर ने कहा, “चलो, अशोक अब प्रार्थना शुरू करो।“ येशु मसीह के २ गीत होने के बाद फादर ने कहा, “आइए हम अपने बाइबल को खोलेंगे।“ जिनके पास बाइबल थे उन्होंने बाइबल खोल दिए। फादर अब सीखाने लगे।

“रोमियों का बारवा अध्याय और आयत २ – हमारे मन के बारे में कुछ कहता है। देखो येशु मसीह ने उस सूली पर अपने प्राण की आहुति देकर हम सबके पापोंकी क्षमा कर दी है। इसका मतलब है की परमेश्वर पिता अब हमारे पापोंकी वजह से हमपर क्रोधित या नाराज नहीं है। और नाही वह हमे दंड देते है। तो आपके मन में सवाल आएगा की क्या हम पाप कर सकते है???”

सब लोग गंभीरता से सुन रहे थे।

फादर ने आगे कहा, “याद रखना!! सबसे जरूरी बात! सिर्फ परमेश्वर ही नही बलकि एक और भी है जिसकी नज़र हमपर हमेशा रहती है। और वह है ‘शैतान’! जिस दिन तुम पाप करते हो उस दिन तुम अपने जीवन में शैतान के लिए दरवाजा खोलते हो। और फिर वह बीमारी, शाप ऐसी बोहोत सी बुरी बातोंको तुम्हारी जिंदगी में, तुम्हारे परिवार में लेकर आता है। यह तुम अपने हातोंसे करते हो। लेकिन खुदा हमेशा हमारे साथ रहते है। बस हमे खुदको उनके हातों में सौंपना होता है।

तो हम क्यों कहते है की हररोज बाइबल पढ़ो, प्रार्थना करो, चर्च आओ, क्यों? क्या यह बाते बस कोई धार्मिक कार्य है? नही! येशु मसीह में विश्वास करने से और उद्धार पाने से हम धार्मिक बन चुके है। लेकिन यह बाते आपको विश्वास में और जादा मजबूत करती है। ताकि हम आनेवाली हर मुश्किलोंको पार कर सके और शैतान की सारी चालोंको नाकाम कर सके। और आप एक बेहतर जीवन जी सके। अपने मन का नवीनीकरण करके।“

लोग बोहोत ही ज़्यादा गंभीरता से सुन रहे थे। लेकिन कोई कोई उबासी भी दे रहा था। क्योंकि दिन भर काम करके वे लोग थक जाते थे। लेकिन फिर भी फादर की ओर उनका पूरा ध्यान था।

पूरी शिक्षा के बाद आखिर में फादर ने सबसे पूछा, “तो हमे क्या करना चाहिए?”

“बाइबल पढ़ना चाहिए हररोज।“, एक लड़के ने जवाब दिया।

“शाबाश दर्शन!!!”, फादर ने कहा। “और?”

“चर्च जाना चाहिए”, एक छोटी लड़की ने कहा।

“हां! एकदम सही महिमा बेटा।“, फादर ने कहा। “और?”

“संसार की बुरी बातोंपर नही बलकि येशु के वचनोंपर अपना मन लगाना चाहिए।“, विलास ने कहा।

“हां!! क्योंकि संसार में बस डर है। और वह डर हमारे मन को कमजोर बनाता हैं और शत्रु यानी शैतान उसका फायदा उठाता है।“, फादर ने मुस्कुराते हुए कहा।

“आइए हम उसकी आराधना करते है।“

यह कहते ही सबने अपनी आंखे बंद कर ली।


फादर ने आराधना शुरू की।

“येशु मसीह तेरे जैसा है कोई नही

तेरे चरणों में झुके आसमा

और महिमा गाए जमी

हम गाए होssसन्ना, तू राजाओंका है राजा

तेरी महिमा होवे सदा तू है प्रभु हमारा खुदा।।।“

और सब रुक गए। फादर ने बस्ती के लिए प्रार्थना की। और ‘आमीन’ कहा। उनके पीछे सबने ‘आमीन’ कहा।

सबने आंखे खोली। फादर ने कहा, “अब हम एक दूसरे से मिल सकते है।“ सब मिलने लगे। रोशनी ने अपने पास बैठे मैरी की तरफ देखा। उसकी अभी भी आंखे बंद थी। वह अपनी पीठ पीछे दीवार को टिकाकर आराम से सो गई थी।

फादर उसी की तरफ देख रहे थे। रोशनी ने फादर की तरफ देखा और इशारा किया की उन्हें उठाऊं या नहीं इस सोच में। लेकिन फादर ने रोशनी को हाथ से रुकने का इशारा किया। अब सब एक दूसरे से मिल रहे थे। फादर उस बूढ़े आदमी से बात कर रहे थे जो मैरी को कब्रिस्तान के पास मिला था। जीसका नाम श्रावण था। अब फिर से हॉल में शोर बढ़ गया।

कोई कह रहा था खाना बनाना बाकी है अभी सारिका ताई। अब नई वीडीओ कब बनानी है दर्शन? आज ५ तारीख है। जल्द ही बनाएंगे अभिषेक मुझे एक बोहोत अच्छा आइडिया आया है। मैं तुम्हे बताऊंगा।

काम कैसा चल रहा है आनंद? अच्छा चल रहा है विलास।

अब कोई कोई फादर को मिलके अपने घर जाने लगे।

अब इस सारी शोर में मैरी की आंखे अचानक से खुल गई। रोशनी उसके पास ही बैठी हुई थी।

आंखे खोलने के बाद फादर ने मैरी से कहा, “आइए इधर आइए।“ रोशनी और मैरी फादर के पास आए। श्रावण वहा पास में ही खड़ा था।



फादर ने मैरी की तरफ देखकर कहा, “कैसे हो मैडम आप?”

मैरी ने कहा, “ठीक हूं!”

फादर ने कहा, “आप बस कहने के लिए ठीक हो। लेकिन आप बोहोत सारी उलझनों में हो। आपके अंदर एक खालीपन सा है।“ यह सुनते ही मैरी ने अपना सिर नीचे किया। “आप अभी सोए थे ना ये कोई साधारण नींद नही थी। बोहोत से लोग ऐसी नींद के लिए तरसते है। सच बताओ आज से पहले ऐसी सुकून भरी नींद आपने एक पल के लिए भी अपने जिंदगी में महसूस नहीं की है, है ना?”

मैरी के आंखे आसुओंसे भर गई थी। उसका सिर नीचे ही झुका था। लेकिन वह बस सुन नहीं रही थी बलकि उन बातों को महसूस कर रही थी। आंखोंसे निकली पानी की धाराएं गालों पर से बह रही थी। लेकिन उसने उन्हें पोंछा नही।


मैरी ने रोते हुए कहा, “हां, आपने सही कहा। अकेलापन मुझे हररोज खाने उठता है। मुझे ठीक से नींद भी नहीं आती है। आप विश्वास करोगे या नहीं, लेकिन मुझे कभी कबार बोहोत ही धीमी आवाजे सुनाई देती है। जैसे कोई औरत मुझे पुकार रही हो। उस आवाज में बोहोत निराशा और दर्द भरा होता है।“ पास में खड़ा श्रावण उनकी बाते और भी गहराई से सुन रह था।

फादर ने कहा, “यह हमारे खाली मन की वजह से, हमारे आसपास के मोहोल की वजह से और निराशा की वजह से होता है। अपनी जिंदगी में अपनी अच्छी यादोंको याद करने की कोशिश करते रहो बस। अपने मन का खयाल रखो। अपना समय वचनों को पढ़कर बिताओ। येशु मसीह आशा देते है। देखो चर्च जरूर आना आपको और भी अच्छा महसूस होगा।“

“हां, जरूर आऊंगी।“, मुस्कुराते हुए मैरी ने कहा।

“तुम्हारे पास बाइबल है?”, डेविड ने कहा।

“हां एक इंग्लिश बाइबल है। लेकिन मैंने सच कहूं तो अबतक जादा पढ़ा ही नही।“, मैरी ने कहा।

“तो कल से पढ़ना शुरू कर दो और उसपर मनन करना भी। कोई भी सवाल हो तो मुझसे जरूर पूछना।“, डेविड ने कहा।

“हां! जरूर फादर।“, मैरी ने कहा।

श्रावण वही खड़ा बाते सुन रहा था। हॉल खाली हो चुका था। बस घर के लोग ही घर में थे। आनंद और पेत्रस का परिवार।

“अच्छा तो फादर अब हम चलते है।“, रोशनी ने कहा। और हॉल के बाहर अपने पति को देखने लगी।

विलास बंगले के बाहर ट्रैक्टर के पास खड़ा था। और साथ में कुछ बच्चे भी खड़े थे। वह सुके घास को और पत्तों को आग लगाकर सेंक रहे थे।

“ये जी चलो घर।“, रोशनी ने विलास से कहा।

“हां चलो, चलो तुम तो दम ही देती हो मुझे।“, विलास ने मजाकिया अंदाज में कहा। वहा खड़े बच्चे हंसने लगे।

“अरे इस लकड़ी के टुकड़े को कही ओर डाल दो किसी को लग जायेगा।“, विलास ने कहा। और वह चला गया।

यह वही टुकड़ा था जिसे दगड़ू घूर रहा था। लेकिन विलास के बात की तरफ किसी ने ध्यान ही नही दिया।


अब वह घर में गए और रोशनी ने पटपट से खाना लगाया। विलास ने प्रार्थना करते ही वह तीनो खाना खाने के लिए शुरू हो गए।


“मैडम, मैंने आपको बताया था ना की एक चर्च का परिवार है। जो अच्छा घर देख रहा है।“, विलास ने कहा।

“हां विलास, क्या हुआ उसका?”, मैरी ने कहा।

“मैने उन्हे सबकुछ बताया। उनका स्कूल गांव में यहां से बस एक किलोमीटर की ही दूरी पर है। उन्होंने कहा कि, वह कल सुबह स्कूल भरने से पहले देखने आएंगे।“, विलास ने कहा।

“अच्छा! लेकिन तुमने उन्हें सब बाते बता दी है ना?”, मैरी ने कहा।

“हां! मैने उन्हे सब बाते बता दी। वो तो पहले नही बोले थे। वे शहर में देखने की सोच रहे थे। ताकि उनकी लड़कियों को स्कूल नजदीक पड़े। लेकिन उनकी बेटियां भी वही थी। वे इन सारी बाते बताने के बावजूद भी खुश हुई थी की घर के आसपास खेत, आंगन और बोहोत सारे पेड़ है। फिर उन्होंने अपने पापा को मना लिया।“, विलास ने कहा। “उनमें से बड़ी वाली लड़की अपने दर्शन के साथ ही दसवी कक्षा में है। है ना रोशनी?”

“हां। और उनकी बेटियां बोहोत होशियार और समझदार है। मैने उन्हे चर्च में देखा है। सुना है की वे पहले जिस स्कूल में थे वहा उनका अपनी कक्षा में पहला नंबर आता था। उनकी बड़ी लड़की सच में बोहोत ही अलग है। उसकी बाते लोगों पर बोहोत गहरा असर छोड़ जाती है। उसको आत्मिक बातों का बोहोत ज्ञान है। फादर का कहना है की उसे स्वर्ग से वरदान मिला है। और नीलम ताई भी बोहोत अच्छी है। उनकी मां।“, रोशनी ने कहा।

“हां वो सब अच्छे है। श्रीकांत भाई अपनी लड़कियों से बोहोत प्यार करते है। कुछ भी फैसला करने से पहले अपनी लड़कियों की खुशी देखते है।“, विलास ने कहा।


“अच्छा तो ठीक है। फिर कल देखते है। वैसे किराए की मुझे कोई जादा अपेक्षा नहीं है। बस परिवार अच्छा हो।“, मैरी ने कहा।

“हां, उसकी चिंता मत करो मैडम आप।“, विलास ने कहा।


अब उनका खाना हो चुका था। उन्होंने हाथ धोए।

थोड़ी सी बाते करने के बाद मैरी ने कहा, “अच्छा तो मैं अब चलती हूं। पता नही लेकिन मुझे आज बोहोत ही सुकून भरा महसूस हो रहा हैं। उम्मीद है की आज अच्छी नींद आयेगी।“, मैरी ने कहा।

“हां जरूर मैडम। खयाल रखना अपना।“, रोशनी ने कहा।

“और कुछ हो तो कॉल करना या आवाज देना बस।“, विलास ने कहा।

“हां विलास”, मैरी ने कहा। और वह अपने बंगले की ओर चल पड़ी।

फिर मैरी अपने बेड पर सो गईं। अपनी आंखे बंद करके अपने जिंदगी की अच्छी बाते याद करने लगी। जैसा कि अपनी मां का उसे उनके बचपन की कहानियां सुनाना। उसके नानी के बारे में बताना। हालाकि उसने कभी अपनी नानी को नही देखा था। लेकिन वह उन कहानियों को आज भी याद करती थी। अपनी मां के और नानी के सफर की बाते। पापा का हरवक्त उसे गले से लगाना। यह सब सोचते सोचते पता ही नही चला की मैरी अपनी सुकून भरी नींद में कब चली गई।


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