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सूखी बूंदें

Updated: Jan 17





By Nishant Patil


हाथो में कलम लिए और चाय की चुस्कियों से बारिश की बूंदो को सूखे पत्तो की तरह गिरते हुए देखना, ज़िन्दगी उस रोज़ कुछ थम सी गयी थी, शायद कलम भी बूंदो सी सूख गयी थी, या शायद टॉम रिडल की किताब मेरे हाथ लगी हो |

वक़्त main function से तो pass हुआ पर... शायद isolated function के recursion में फास गया है |

तभी दरवाज़े पर किसीने दस्तक दी, और किताब खुली रह गयी |


हाथो में किताब लिए एक लड़की घर के बहार खड़ी थी |


ख़ुशी: " तुम्हारी किताब लौटने आयी हु "


निशांत: " पूरी किताब पढ़ली तुमने! इतने जल्दी! "


ख़ुशी: " हाँजी, अब सारे सवाल यही करने है या अंदर भी बुलाओगे? "


निशांत: " अरे! आओ, आओ, पधारिये मोहतरमा | "


ख़ुशी: " जी जनाब  "


निशांत: " तो बताइये कहानी कैसी थी? "


ख़ुशी: " माशाल्लाह कहानी बहुत खूब थी जनाब | कहा से लाते हो इतने ख्याल? मैं तो कहती हूँ 

           इंजीनियरिंग छोड़ दे, राइटर बनेगा तू बहुत बड़ा | "


निशांत: " अच्छा! "


ख़ुशी: " वैसे ये बता, इतना सब किसके लिए लिखता है? कौन है वह लड़की? हमे भी मिलाओ उनसे | "


निशांत: (मन ही मन)" अब तुम्हे तुमसे कैसे मिला सकता हूँ? "


ख़ुशी: " कहा रहती है वह? "


निशांत: (धीरे से)" दिल में "


ख़ुशी: " उसकी तस्वीर तोह दिखाओ? "


निशांत: (धीरे से)" तस्वीर तोह सामने है "


ख़ुशी: " काश मेरे लिए भी कोई लिखता. तुझे पता है ना I love this art and the artist who creates it. "


निशांत: " वह तोह तुम्हारे सामने है | "


ख़ुशी: " कुछ कहा? "


निशांत: " हाँ, बस बोलती रहोगी या पूरनपोली भी खाओगी? "


ख़ुशी: " अरे वाह! आज भी बानी है! "


निशांत: " वाइट कलर के डिब्बे में रखी है| खा लो | "


ख़ुशी: " काश मेरा बॉयफ्रेंड होता, मुझे अपनी हाथो से पूरनपोली खिलता | "


निशांत: " ओके, झुमके लाये है मैंने तुमने जो देखे थे, अगर वह भी बॉयफ्रेंड से चाहिए तो झुमके 

            किसी और को देता हू | "


ख़ुशी: " नहीं मुझे देदो | देखो बॉयफ्रेंड हो या ना हो मेरे लिए झुमको के बेस्ट चॉइस तुम्हरे अलावा 

          कोई नहीं कर सकता | "


निशांत: " अच्छा! ये लो तुम्हारे झुमके | "


ख़ुशी: " पहना दो ना अब! "


अपनी उंगलियों से उसके कानो पर से ज़ुल्फ़े हटाकर, दिल कहने लगा इज़हार-ए-प्यार कार्डो अब, मौका भी है, दस्तूर भी और सूखे बूंदो में जान भी आ गयी थी और पल भी कुछ भीग गए |

पर दिमाग ने कहा सोचले, इस एक इज़हार से कही दोस्ती में दरार ना आ जाए | और मैं गड़बड़ी में पड़ गया के अब कहु या नहीं...


ख़ुशी: " बड़े ही प्यारे है ये झुमके और इन्हे पहनाने वाला भी ! "


By Nishant Patil






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