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हरियाली और खुशहाली

By Kamakshi Aggarwal


पेड़ को जो काटोगे, अपना भविष्य बिगाड़ोगे,

सोच के देखो तुम ज़रा, हरियाली अौर खुशहाली कैसे लाओगे।


रहेगा न अगर बाग- बगिचा, साँस न ले पाओगे,

खुशहाली न होगी अास पास, फूल की तरह मुरझा जाओगे,

घुट- घुट कर ऐ मेरे दोस्त, यूँ ही तुम मर जाओगे।


मिटा कर इनका अस्तित्व, ज़मी को बंजर बनाओगे,

काट- काट कर पेड़ों को, चैन कहाँ तुम पाओगे।


हर तरफ़ हरियाली हो जहाँ,

हर तरफ़ खुशहाली हो जहाँ,

अगर एेसा चमन बनाओगे,

सच कहती हूँ मैं कसम से, तब तुम खुशहाली पाओगे।



हरियाली बचेगी तो धरती बचेगी,

जीवन बचेगा कल बचेगा।


हरियाली से ही तो होती है वर्षा,

नदी बचेगी जल बचेगा।


जब खेतों में होगा अनाज,

थालियों में भोजन बचेगा।


जीवन में होगी खुशहाली,

जब धरती पर होगी हरियाली।


धरती की बस यही पुकार,

पेड़ लगाओ बारंबार।


आओ मिलकर कसम खाएँ

अपनी धरती हरित बनाए।

धरती पर हरियाली हो,

जीवन में खुशहाली हो।


By Kamakshi Aggarwal



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