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हाथ की रेखाएं

By Kishor Ramchandra Danake


सुबह के ९ बजे थे। धूप निकल चुकी थीं। लेकिन फिर भी शरीर के ऊपर ठंड का हलका सा कांटा मैरी को महसूस हो रहा था। मैरी अपने आंगन में सामने खेत की तरफ अपनी कुर्सी डालकर बैठी हुई थी। उसने गाउन पर अपना वही पतला सा स्वेटर पहना हुआ था। हाथ में पकड़ी किताब को वह पढ़ रही थी। किताब के कवर पर अंग्रेजी में लिखा था ‘न्यू टेस्टमेंट ‘। यह उसका अंग्रेजी बाइबल था। अपना एक पैर दूसरे पैर पर रखकर मैरी पढ़ने में मग्न हो चुकी थी।

थोड़ी देर के बाद एक आदमी मोटार गाड़ी पर बस्ती के एक एक घर को पीछे छोड़कर बंगले की ओर बढ़ रहा था। उसने विलास के घर के पास आकर अपनी गाड़ी रोक दी। उसके साथ एक लड़की भी थी। उसके पीठ पर स्कूल की बैग थी। मैरी उनके तरफ ही देख रही थी। विलास को मिलते ही वह आदमी और विलास मैरी के बंगले की ओर चलने लगे। मैरी को मन ही मन पता चल गया की यह आदमी वही है जो घर देखने आया है। जिसकी कल रात विलास ने बात की थी।

बंगले के पास आते ही विलास ने कहा, “मैडम आपको बताया था ना ये वही है। इनका नाम श्रीकांत है, श्रीकांत बोर्डे और उनकी बेटी अक्षदा। ये यहां गांव के सरकारी स्कूल में शिक्षक है। ये भी चर्च आते है। चर्च में ही हमारी पहचान हुई थीं।“

“मिलकर अच्छा लगा। आइए आपको कमरे दिखाती हूं।“, मैरी ने मुस्कुराते हुए कहा।

अक्षदा बस यहां वहा चारो ओर सब देख रही थी। उसकी नजरें घूमते घूमते मैरी के ऊपर पड़ी तो अचानक से उसने आंख बंद करके लंबी सांस छोड़ी। उसे एक काला साया एक दरवाजा खटखटाते हुए दिखाई दिया। वह दृश्य बोहोत ही डरावना था।

“अरे तुम ठीक तो हो ना अक्षदा बेटा?”, श्रीकांत ने अक्षदा को हाथ लगाते हुए कहा।

“हां पापा! मैं एकदम ठीक हूं।“, अक्षदा ने अपनी आंख खोलते हुए कहा। और मुस्कुरा दिया। अक्सर कभी कभी अक्षदा ऐसी असाधारण बाते महसूस करती रहती थीं। लेकिन वह इन बातों को बस अपने अंदर ही दबाके रखती थी। फिर वह मैरी को गौर से देखने लगी।

फिर वे सब बंगले के अंदर चले गए।

अंदर जाते ही अक्षदा ने कहा, “वोsss हॉल तो बोहोत ही बड़ा है।“

मैरी ने अपनी बांई ओर इशारा करके कहा, “यहां किचन है। और देखो वहा कोने में बाथरूम है। और यहां देखो दांई ओर यह मेरा कमरा है।“

फिर वह चारों सीढ़िया चढ़कर अपनी बांई ओर मुड़कर ऊपर की मंजिल पर गए। ऊपर सबसे पहले एक छोटा सा रूम था।

मैरी ने कहा, “ये एक छोटा सा कमरा है। देख लो।“ श्रीकांत और अक्षदा कमरा यहां वहा देखने लगे। वे वहा से निकलकर दूसरे कमरे की ओर बढ़ने लगे।

मैरी ने श्रीकांत की तरफ देखकर कहा, “वैसे परिवार में आप कितने लोग हो?”

श्रीकांत ने कहा, “मैं, मेरी पत्नी और मेरी दो बेटियां।“

“अच्छा! फिर तो बोहोत अच्छी बात है। उन्हें पसंद आएगा ना ये घर?”, मैरी ने कहा।

बात खत्म होने तक वे तीनो आगे के कमरे में पोहोच चुके थे।

“हां। जरूर आएगा। बताओ रानी कैसा लग रहा है तुम्हे यह घर?”, श्रीकांत ने कमरे के अंदर नजर घूमाते हुए अक्षदा से कहा।

अक्षदा ने अपने पापा की तरफ़ देखकर अपनी आंखे बड़ी की और मुस्कुराकर कहा, “बोहोत अच्छा है पापा! हमारे लिए अलग से भी कमरा होगा। पनू को भी बोहोत पसंद आएगा। इतना बड़ा घर देखकर तो वह झूमने लगेगी।“

विलास उनके साथ ही खड़ा था। अक्षदा ने खिड़की के बाहर देखा तो उसे आंगन दिखाई दे रहा था। श्रीकांत ने अपने मोबाइल में फोटो खींच लिए। वह तीनो अब चलते चलते नीचे आ गए।

मैदान में आते ही श्रीकांत ने मैरी से कहा, “मैडम कमरे और घर तो अच्छा है। किराया कैसा होगा?”

मैरी ने कहा, “अरे किराए की चिंता मत करो। मैं बस एक अच्छा परिवार चाहती हूं घर में। मुझे विलास ने सब बताया है। तुम वहा जितना देते हो उतना ही देना। अगर वह जादा लग रहा है तो तुम बताना मुझे। चिंता की कोई बात नही।“ मैरी ने मुस्कुरा दिया।

श्रीकांत ने भी मुस्कुराकर कहा, “शुक्रिया! तो कब शिफ्ट हो जाए हम?”

“कभी भी हो जाना। कोई दिक्कत की बात नही।“, मैरी ने कहा।

श्रीकांत ने कहा,”आज गुरुवार है। कल मैं और मेरी पत्नी फिर एक बार देखने आएंगे। अगर उसे भी अच्छा लगा तो हम शनिवार के दिन शिफ्ट हो जायेंगे।

“अरे हां जरूर।“, मैरी ने कहा।

“अच्छा तो अब मैं चलता हूं। मुझे स्कूल भी जाना है।“, श्रीकांत ने कहा।

और वहा से वे तीनो चले गए। मैरी फिर से अपनी कुर्सी पर बैठ गई। और फिर से पढ़ने में मग्न हो गई।


थोड़ी देर के बाद एक मोटा सा लड़का बंगले की तरफ आ रहा था।

उसे चलते आया देख मैरी ने कहा, “अरे दर्शन! क्या हुआ बेटा? कुछ काम है?”

“नही मैडम!”, दर्शन ने कहा। और वह रुक गया। “मतलब हां एक काम है।“, लड़खड़ाते हुए दर्शन ने आगे कहा।

“अरे बोलो। डरो मत!”, मैरी ने कहा।

“मैडम वो मेरा एक यूट्यूब चैनल है। तो मैं उसपर मोटिवेशन, व्लॉग और कुछ ऐसे ही शिक्षा के छोटे मोटे वीडियो डालते रहता हूं। तो मैंने सोचा कि आपके ऊपर एक वीडीओ बनावू। मतलब आपके जीवन के अबतक के सफर पर। आपके बचपन से लेकर अबतक के जिंदगी का सफर।“, दर्शन ने कहा।

मैरी हंसने लगी। और हंसते हुए मैरी ने कहा, “मोटिवेशन का तो पता नही लेकिन लोग चौंक जरूर जायेंगे।“

दर्शन भी हंसने लगा। फिर उसने कहा,”तो क्या हम वीडीओ बना सकते है?”

“हां बिल्कुल। जरूर बना सकते हो। मुझे भी खुशी होगी की किसी को मेरे जिंदगी से कुछ मोटिवेशन मिलेगा।“, मैरी ने कहा। और फिर से हंसने लगी। दर्शन भी हसने लगा।

फिर मैरी ने कहा, “तो कब वीडीओ बनाना है?”

दर्शन ने कहा,”शनिवार के दिन सवेरे सवेरे बनाएंगे।“

“अच्छा ठीक है शनिवार के दिन बनाएंगे। तबतक मैं अच्छे से तैयार हो जाऊंगी।“, मैरी ने कहा।

“मैं आपको कल कुछ सवाल देता हु। आप बस उनको पढ़ना। मैं वही सवाल पूछूंगा। बस दो तीन सवाल होंगे।“, दर्शन ने कहा।

“हां। जरूर!”, मैरी ने कहा।

“ठीक है मैडम। तो अब मैं चलता हूं। स्कूल भी जाना है। अच्छा हुआ आज एक्स्ट्रा लेक्चर्स नही थे हमारे। लेकिन आप तैयार रहना मैडम शनिवार के लिए।“, दर्शन ने कहा।

“हां दर्शन! खयाल रखो अपना।“, मैरी ने कहा।

और फिर दर्शन वहा से चला गया।



फिर मैरी ने बैठे बैठे खुद से ही कहा, “अब थोड़ी देर तक पढ़ूंगी और फिर अच्छा खाना बनाऊंगी।“ बाइबल को फिर से खोलकर मैरी पढ़ने लगी।

एक आदमी बस्ती के एक एक घर से होकर गुजर रहा था। उस आदमी की दाढ़ी थी और उसने हाथ में एक कपड़े का बड़ा झोला पकड़ रखा था। उसका पहराव बोहोत ही साधारण था। वह अब दगड़ू चाचा की वही बाते सुन रहा था जो सचिन ने भी सुनी थी।

फिर वह आदमी विलास के घर के पास पहुंचा। विलास तो खेत में गया हुआ था। मैरी देख रही थी की रोशनी उसे किसी बात के लिए इंकार कर रही थी। लेकिन फिर रोशनी ने उसे घर में से रोटी दी। उसने वह रोटी ली और वह आदमी बंगले की तरफ चलकर आने लगा। मैरी की नजर अब बाइबल से बाहर उस आदमी पर पड़ी। वह मैरी के पास आया।


“माई! माई! सुनोगे आपके बारे में मैं बताऊंगा एकदम सही। बस कुछ खाना, अनाज या पैसे दे दो उसके बदले माई!”, उस व्यक्ति ने सुर लगाते हुए कहा।

मैरी ने कहा, “क्या बता सकते हो?”

उस आदमी ने मुस्कुरा दिया और थोड़ा नीचे झुककर कहा,”जैसे तुम्हारा बिता हुआ कल और तुम्हारा वर्तमान।“

मैरी चौंक गई। उसने कहा, “क्या? क्या ऐसी बाते संभव है? क्या लोग ऐसी बाते सच में मानते है?”

उस आदमी ने कहा, “हां! बोहोत से लोग मानते है। और यह बाते संभव भी है। लेकिन कीमत हर चीज की होती है।“

मैरी ने कहा, “क्या यहां के सब लोगोंको तुमने उनके बारे में बताया?”

उस व्यक्ति ने कहा, “हां! लेकिन कोई अपने घर नही थे और किसी किसी ने मना कर दिया।“

उस व्यक्ति की आवाज में बोहोत ही नरमाहट और कोमलता थी। जिससे उसकी हरएक बात का असर मैरी के मन पर और हृदय पर गहराई से हो रहा था।


“अच्छा। तो कैसे बता सकते हो तुम ये बाते।“, मैरी ने गंभीरता से कहा।

“बस हाथ की रेखाएं देखकर।“, उस व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा।

“क्या ऐसा सच में हो सकता है? मैं अबतक इन बातों से हैरान हूं की कैसे लोग इन बातोंको कर पाते है?”, मैरी ने कहा।

उस आदमी ने हंस दिया। और कहा, “मैंने कहा था ना हर बात की एक कीमत होती है। यह आत्मा की बाते है। हर कोई नही समझ सकता।“

“अच्छा तो बताओ।“, मैरी ने जिज्ञासा से पूछा।

उस आदमी ने मैरी के दांई हाथ की उंगलियोंको पकड़ा और बड़े ही गौर से हाथ की रेखाएं देखने लगा।

“अंsssम!”, वह आदमी बंद मूंह से आवाज करने लगा। जैसे उसे कुछ महसूस हो रहा हो। कुछ पल में ही उसने मैरी का हाथ नीचे कर दिया।

उस आदमी ने कहा, “निराशा!! किसी को खोने का दुःख और उनको फिर से मिलने की तमन्ना। इन बातों में ही आप झुंज रही हो माई। तुमने जादातर अपनी जिंदगी अकेले ही गुजारी हैं और दुखभरी भी। आप आज भी उनसे मिलने की चाहत रखते हो।“

मैरी उस आदमी की तरफ गौर से देख रही थी।

इतना कहते ही उस व्यक्ति ने मैरी से पूछा, “क्या मैने सही कहा ना माई?”

मैरी ने कहा,”एक एक शब्द सही कहा।“ उसका चेहरा उतर गया था।

“तो कुछ पैसे मिलेंगे अब मैं निकलता हूं।“, उस व्यक्ति ने कहा।

मैरी ने कहा, “हां! अभी लाती हूं रुको।“ मैरी अपने कमरे में गई और कुछ पैसे लेकर आई। और उस व्यक्ति को उसने कुछ रुपए दिए। पैसे देते ही वह व्यक्ति चलने की तैय्यारी में था।

लेकिन उसी वक्त मैरी ने कहा, “तुमने तो मुझे मेरा अतीथ और वर्तमान बता दिया। क्या तुम भविष्य भी देख सकते हो? क्योंकि बोहोत से लोग देख सकते है। मैंने यह सुना है।“


वह व्यक्ति अब मैरी को बिना किसी भाव के शांतता से देखने लगा। दो पल के बाद वह व्यक्ति मुस्कुराया और उसने कहा, “हां! देख सकता हूं। लेकिन याद रखो भविष्य सिर्फ ईश्वर ही जानते है। बोहोत से लोग है जो भविष्य देखने का दावा करते है। लेकिन भविष्य से जुड़ी बोहोत सी रहस्यमय बाते हैं। मैं चाहता हूं की आप इन बातों से दूर ही रहो। क्योंकि यह बाते बोहोत ही गंभीर है।“

मैरी ने कहा, “क्या तुमने सच में मेरी हाथ की रेखाएं देखकर मेरा सबकुछ बता दिया? अगर ऐसा है तो हाथ की रेखाएं पढ़ना कोई भी सिख सकता है।“

उस व्यक्ति की आंखे अब बड़ी हो गई।

उसने कहा, “माई, यह दुनिया बोहोत ही उलझी हुई है। उसे जितना जादा उलझाओगे उतना ही जीना आसान हो जाता है। लेकिन सच्चाई कभी नहीं छुपती। मैं तुम्हे कुछ बताता हूं जो हम लोग किसी को नहीं बताते। और मुझे यकीन है की आप भी किसी को नहीं बताओगे। दरअसल हम नाहीं हाथ की रेखाएं देखकर या कुछ और देखकर लोगोंको उनके बारे में बताते है। बाते बोहोत ही जादा चौकाने वाली है। लेकिन सच है।“


मैरी अब और भी जादा जिज्ञासा और गौर से सुनने लगी।


उस आदमी ने आगे कहा, “नजरोंसे दिखने वाली दुनिया तो है लेकिन और भी एक दुनिया है जिसे हम शरीर की आँखोंसे नही देख सकते और वह है आत्माओंकी दुनिया। देखो हर इंसान के ऊपर इस दुनिया में आत्माओंकी नजर होती है। वह आत्माएं हमे लोगोंके बारे में बताती है और फिर हम उन लोगोंको जो हमने उनके बारे में सुना है वह बताते है। आत्माएं सबकुछ जानती है। लेकिन हम किसी को ये बाते नही बताते। तो आप भी किसी से यह बाते मत कहना।“

यह बाते सुनकर मैरी चौंक गई। और उसकी आंखे सामान्यता से जादा बड़ी हो गई।

उस आदमी ने फिर से कहा, “लेकिन हर बात की कीमत होती है। जैसा कि मैंने पहले भी कहा।“

मैरी ने कहा, “कैसी कीमत?”

उस आदमी ने कहा, “मैने कहा ना आप इन बातों से दूर ही रहो।“

मैरी ने कहा, “अगर तुम यह बाते किसी को नही बताते तो तुमने मुझसे क्यों कही?”

“हां! यह तो सच है की हम यह बाते किसी को नहीं बताते लेकिन पता नहीं मैं तुम्हे कैसे बता रहा हूं?”, उस आदमी ने कहा। और हलका सा मुस्कुरा दिया। फिर उसने मैरी के गले में लटके लॉकेट की तरफ देखा और फिर से मैरी की तरफ।


मैरी को अब थोड़ा सा डर का एहसास हुआ।

“तोss तो क्या तुम सच में आत्माओंसे बाते कर सकते हो?”, मैरी ने शंका से पूछा।

“यकीन करना या ना करना तुम्हारा काम है।“, उस आदमी ने कहा।

मैरी अब सोच में पड़ गई। दो पल के बाद मैरी ने फिर से कहा।

“तो अगर ये बाते सच है तो तुम ही हो जो मेरी निराशा को दूर कर सकते हो। अगर तुम आत्माओंसे बाते कर सकते हो तो क्या तुम मेरी बात मेरे पिताजी और मां से करवा सकते हो?”, मैरी ने कहा।


यह बात सुनते ही उस व्यक्ति की मुस्कुराहट कम हो गई। वह थोड़ा बैचेन हो गया।

उसने कहा, “माई!!! जो मर चुके है उन लोगों की आत्माओं के मामलोंमे बाते और भी जादा उलझी हुई है। यह तो मेरे लिए संभव नहीं हैं।

मैरी ने कहा, “लेकिन तुमने तो कहा था की तुम आत्माओं से बाते कर सकते हो।“

उस आदमी ने कहा, “मैं जिन आत्माओं के बारे में कह रहा था वो अलग थी। लेकिन मरे हुए मनुष्यों के आत्माओं की बात अलग है। मैं तुम्हे इन सबके बारे में नहीं बता सकता।“

मैरी ने कहा, “तो फिर यह संभव है या नही?”

उस आदमी ने कहा, “मेरे लिए तो संभव नहीं है। लेकिन मेरे गुरु है जिनके लिए यह बाते संभव है। यह बाते बोहोत ही गंभीर है। आप मेरे गुरु के पास आ जाओ वह आपकी मदद जरूर करेंगे। वह एक बड़े तांत्रिक है। लेकिन क्या तुम सच में यह चाहती हो?”

मैरी ने कहा, “हां , मैं सच में यह चाहती हूं।“

“तुम्हारे पिताजी या मां की कोई अजीज चीज है तुम्हारे पास?”

थोड़ा सोचते ही तुरंत मैरी ने कहा, “मेरे लिए वे यह लॉकेट पीछे छोड़ गए थे।“

“तो समझो और भी आसान हो गया। बस ये वस्तु भी अपने साथ लेकर आना। रविवार के दिन ठीक गोदावरी नदी के बड़े पुल के नीचे एक छोटी सी बस्ती है जहा हमारा बसेरा है। ठीक सुबह आ जाना। और आते ही मुझे फोन करना।“

और झुककर फिर से उस आदमी ने धीमी आवाज में कहा, “यह बात किसी को मत बताना की तुम कहा और किसलिए जा रही हो, माई।“

“हां जरूर! मैं यह बात किसी से नहीं कहूंगी।“, मैरी ने कहा। “तुम्हारा नंबर?”

उस आदमी ने मैरी को अपना नंबर दिया।

यहा वहा देखने के बाद उस आदमी ने कहा,”अच्छा तो अब मैं चलता हूं माई।“

वह व्यक्ति जाने के लिए मुड़ा लेकिन उसी वक्त मैरी ने उसे फिर से कहा, “तुम्हारा नाम नही बताया।“

वह व्यक्ति रुका और उसने कहा, “रविवार के दिन मिलते है। मुझे अभी और भी रेखाएं देखनी है।“ मुस्कुराकर वह व्यक्ति चला गया।


मैरी ने अपना बाइबल बंद कर दिया और अपने हाथ की रेखाएं देखने लगीं। उसके दिमाग में बस उस आदमी की ही बाते घूम रही थी। उस व्यक्ति की बाते सुनकर वह बोहोत ही हैरान थी।लेकिन रविवार के लिए वह उत्साहित भी थी। उसे फिक्र भी हो रही थी की क्या यह बाते सच में संभव हो सकती है? क्या वह सच में अपने पिताजी और मां से बाते करने वाली है? शायद यह बाते सच हो।


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